Thursday, December 8, 2011

नववर्ष

 नववर्ष अभिनन्दन हो
जीवन खुशियों का संगम हो
बहता पवन निर्मल गति से
त्रस्त हृदयों को शांत करे
कठोर, कटु, भय की वाणी के
शब्दों को कोमलकान्त करे
सूखे, तपते जीवन धरा पर
हरियाली का  स्पंदन हो
जीवन ............
सूर्य किरण अंतर्मन के
तम का समूल नाश करे
अपरिचित मंजिल ना होगी
हृदयों में ये आभास भरे
सृष्टी पर पलती जगती में
सद्विचारों का हृदयंगम हो
जीवन ............
वृक्ष फले, फल फूल फले
यु जीवन गति करता जाये
सम विषम परिस्थितियों में
लेता जाएँ  देता जाएँ
वात्सल्य, प्रेम, दया नदियों में
त्रिवेणी सा संगम हो
जीवन ............
बजती रहे समता की धुन
क्षमता के मिलकर गीत लिखे
ममता व्यापकता ले इतनी
जीवन संगीत सा मधुर लगे
आशा हर्ष विनोद प्रसन्नता
से इश्वर का वंदन हो
जीवन ............

ओछापन

 लोग कहते हैं मुझे
'संकीर्ण सोच वाला '
तथापि ,में पूछता नही हु |
की , यह जानने के लिए आपने
अपने आप को
कितना पैना किया हैं ,
में कहता भी नही हु ,
मेरा 'ओछापन'
दुनिया को बताने को
आपने स्वयं को कितना
'ओछा' किया हैं ,