Sunday, October 18, 2015

ख्वाहिश मेरी

तेरे आस पास ही 
हवाओं में घुलकर
तेरी मचलती लटों को
उड़ा जाना
हैं ख्वाहिश मेरी ।
तेरी नर्म हथेलियों में
मेहंदी बन कर रच जाना
हैं ख्वाहिश मेरी ।
तुम ही तो हो
उजाले की किरण
तुम ही हो दर्पण
मेरे मन का
तेरे कंगनों में
खनक जाना
हैं ख्वाहिश मेरी ।
तेरी पाजेब की
छन-छन
मेरा मुदित मन
तेरी कनखियों से कह जाना
मेरा रुक जाना
तेरे बालों में फूल सा महक जाना
हैं ख्वाहिश मेरी ।
तुम हो  बिम्ब
सपनो का
अपनों का
तुम में ही खो जाना
तुम ही हो जाना
हैं ख्वाहिश मेरी