Saturday, December 18, 2021

किताब खुलते ही

किताब खुलते ही ......
थोड़ा पढ़ते ही ...
आता है प्यार 
छा जाता है प्यार
बन जाती है दुनिया 
इन पन्नों 
में खो जाता हूं मैं
 तेरे रंगों में 
किताब खुलते ही  ...….थोड़ा पढ़ते ही

कह नहीं सकता 
पढ़ रहा हूं लाइने 
या तेरी हंसी 
गलबहियां संग तेरे 
जीवन चलता है 
अब पता नहीं है 
कब आता है दिन 
कब ढलता है

किताब खुलते ही .....थोड़ा पढ़ते ही 

लगता है ऐसा
 तू मुझ में है
 मैं तुझ में हूं
 पर न किसी को दिखता है 
है मगर कोई गुले इश्क
जो तेरे भी दिल में 
मेरे भी दिल में 
धीरे-धीरे फलता है