जय कलियुग ज्ञानगुणी सागर !
जय कलियुग तू हैं लोक उजागर !!
तेरे यहा काम होवे नाना !
तुझको तो पुरे विश्व ने माना !!
घुसखोरी का तू हैं संगी !
इस बिन होए काम न जल्दी !!
धवल वस्त्र सर पे हैं टोपा !
भ्रष्टाचारी नेता में तू ऐसा !!
हाथ जोड़ कर करे झूठे वादे !
पांच साल तक फिर न झाकें !!
खा अंडे और लगा के चन्दन !
पी मदिरा पण्डित करे वंदन !!
चपरासी भी घुस को आतुर !
लेकर घुस बने बहादुर !!
तुम्हरा चरित्र हर घर में बसियाँ !
माता पिता जब वरधाश्रम बसियाँ !!
सत्य वचन का करो दिखावा !
झूठ बोल कर करो छलावा !!
स्वहित में पर का चैन उजाड़ें !
आवो अपना काम सवारें !!
चूस गरीब को धन घर लायें !
घर में सुख सुविधा लगवायें !!
माता को कहो बुढ़ियाँ मर जाई
प्रियतमा की करो खूब बढाई !!
किसी की भी जब मदद को आवें !
स्वार्थ देख ही आगे आवें !!
नही लाचारों की मदद करो सा !
इस में कुछ बी बचत नही सा !!
स्वार्थ दिखे अपना जहा ते !
गधे को बाप बनाओं वहा ते !!
तुम उपकार उनका ही कीना !
सूद सहित जो वापस दीना !!
तुम्हारा मन्त्र अफसर ने जाना !
रसीद कते पहले दक्षिणा आना !!
नेता बोले आज तो खालू !
कल सत्ता में क्या हो न जानू !!
ईमानदारी को रखो मुख माहि !
बेईमानी बिन कुछ भी नाही !!
छल, प्रपंच रिश्वत जो लेते !
इस्वर का ही रूप वो होतें !!
होते ही शादी हो जावो न्यारे !
महंगाई खड़ी पैर पसारे !!
लूटपाट बेधडक हो करना !
रुपयाँ हैं काहें को डरना !!
जब रुपयों को दान में बाटें !
न्यायाधीश की कलम भी कांपे !!
नेताजी हैं कथा सुनावें !
दादागिरी बिन वोट न आवें !!
तब तक रोग मिटे न पीड़ा !
मरीज न जब तक दक्षिणा दीना !!
जो सैट बार पाठ करे कोई !
छुटहि बंदी महासुख होई !!
जो यह गुणें कलिकाल चालीसा !
होय सिद्धि सखी गोरिसा !!
सागरदास सदा तेरा चेरा !
किजेनाथ ह्रदयमह डेरा !!
छलिकपट हत्याकरन ,
स्वार्थी शराबी रूप !
झूठ गबन असत्य सहित ,
ह्रदय बसों कलियुग !!
जय कलियुग तू हैं लोक उजागर !!
तेरे यहा काम होवे नाना !
तुझको तो पुरे विश्व ने माना !!
घुसखोरी का तू हैं संगी !
इस बिन होए काम न जल्दी !!
धवल वस्त्र सर पे हैं टोपा !
भ्रष्टाचारी नेता में तू ऐसा !!
हाथ जोड़ कर करे झूठे वादे !
पांच साल तक फिर न झाकें !!
खा अंडे और लगा के चन्दन !
पी मदिरा पण्डित करे वंदन !!
चपरासी भी घुस को आतुर !
लेकर घुस बने बहादुर !!
तुम्हरा चरित्र हर घर में बसियाँ !
माता पिता जब वरधाश्रम बसियाँ !!
सत्य वचन का करो दिखावा !
झूठ बोल कर करो छलावा !!
स्वहित में पर का चैन उजाड़ें !
आवो अपना काम सवारें !!
चूस गरीब को धन घर लायें !
घर में सुख सुविधा लगवायें !!
माता को कहो बुढ़ियाँ मर जाई
प्रियतमा की करो खूब बढाई !!
किसी की भी जब मदद को आवें !
स्वार्थ देख ही आगे आवें !!
नही लाचारों की मदद करो सा !
इस में कुछ बी बचत नही सा !!
स्वार्थ दिखे अपना जहा ते !
गधे को बाप बनाओं वहा ते !!
तुम उपकार उनका ही कीना !
सूद सहित जो वापस दीना !!
तुम्हारा मन्त्र अफसर ने जाना !
रसीद कते पहले दक्षिणा आना !!
नेता बोले आज तो खालू !
कल सत्ता में क्या हो न जानू !!
ईमानदारी को रखो मुख माहि !
बेईमानी बिन कुछ भी नाही !!
छल, प्रपंच रिश्वत जो लेते !
इस्वर का ही रूप वो होतें !!
होते ही शादी हो जावो न्यारे !
महंगाई खड़ी पैर पसारे !!
लूटपाट बेधडक हो करना !
रुपयाँ हैं काहें को डरना !!
जब रुपयों को दान में बाटें !
न्यायाधीश की कलम भी कांपे !!
नेताजी हैं कथा सुनावें !
दादागिरी बिन वोट न आवें !!
तब तक रोग मिटे न पीड़ा !
मरीज न जब तक दक्षिणा दीना !!
जो सैट बार पाठ करे कोई !
छुटहि बंदी महासुख होई !!
जो यह गुणें कलिकाल चालीसा !
होय सिद्धि सखी गोरिसा !!
सागरदास सदा तेरा चेरा !
किजेनाथ ह्रदयमह डेरा !!
छलिकपट हत्याकरन ,
स्वार्थी शराबी रूप !
झूठ गबन असत्य सहित ,
ह्रदय बसों कलियुग !!
No comments:
Post a Comment