Monday, August 22, 2011

सूरज के साथ

रात में तारे
आँखों में चुभते हैं
चांदनी में
एक जलन सी होती है
रोज थम जाता हु
सूरज के साथ
ख़ाली हाथ
जब घर की दीवारे
जैसे कैदी बनाती हैं
बाहर जाता हु
रेगिस्तान पाता हु
पिता की आँखे
देखता हु जब
पहाड़ सी आशाएं
लादे फिरता हु
शक्ति नही मिलती
ढ़ोने की  /.

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