Monday, August 22, 2011

शहर

शहर को रोग हैं,
अनिद्रा का
हर वक्त चिल्लाता और,
हांफता रहता हैं
स्वप्न भुलैया में
स्कूटर पर भटकता
रहता हैं |
सुकून के वृक्ष काटकर
लगाये खंभे
अतृप्त इच्छाओं के,
पक्षी को भटकाता
रहता हैं,
सड़क पर
मृग-मरीचिका हैं ;
शहर भागता रहता हैं 

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