Tuesday, August 16, 2011

पत्ता

पेड़ का टुटा पत्ता हु में
   फिरता हु गली-गली
      कभी हवा मुझे ले जाती
   आसमान की सैर में
 बिन पंखो के हवा भरोसे
  गिर जाता हु ढ़ेर में |












No comments:

Post a Comment