पेड़ का टुटा पत्ता हु में
फिरता हु गली-गली
कभी हवा मुझे ले जाती
आसमान की सैर में
बिन पंखो के हवा भरोसे
गिर जाता हु ढ़ेर में |
फिरता हु गली-गली
कभी हवा मुझे ले जाती
आसमान की सैर में
बिन पंखो के हवा भरोसे
गिर जाता हु ढ़ेर में |
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