इतिहास के साक्षी
निर्जन स्थलों के
खंडहरों में
होता हैं निर्माण
सर्वसक्तिमान के
अमर गीत का
नीरव और शून्य
होती हैं धुनें उसकी
निर्जीव प्राचीन
प्रस्तर सुनते हैं,
दर्शक बन
पवानागमन से होता हैं
शब्द निर्माण
गायक स्वयं
सर्वसक्तिमान
सर्वत्र गुंजायमान
उस संगीत को सुनु में
मेरा आगमन
लय तोड़ता हैं
निर्जन स्थलों के
खंडहरों में
होता हैं निर्माण
सर्वसक्तिमान के
अमर गीत का
नीरव और शून्य
होती हैं धुनें उसकी
निर्जीव प्राचीन
प्रस्तर सुनते हैं,
दर्शक बन
पवानागमन से होता हैं
शब्द निर्माण
गायक स्वयं
सर्वसक्तिमान
सर्वत्र गुंजायमान
उस संगीत को सुनु में
मेरा आगमन
लय तोड़ता हैं
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